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नीतीश सरकार ने बिहार के 6 हजार किसानों को दी बड़ी सजा, सारी सुविधाओं से किया वंचित…

बिहार के 6 हजार से ज्यादा किसानों को नीतीश सरकार में बड़ी सजा मिली है. राज्य के अलग अलग जिलों के किसानों को कृषि विभाग की ओर से सरकार का नियम नहीं मानने के कारण ब्लैकलिस्टेड कर दिया गया है.

दरअसल, किसानों को मिली सजा से जुड़ा यह मामला धान की खेती करने वालों से है. धान की खेती के बाद खेतों में पराली यानी पुआल जलाना प्रतिबंधित है. लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं जो पुआल को जला देते हैं. इससे वायु प्रदूषण बढ़ने का खतरा रहता है. इसी कारण नीतीश सरकार ने पुआल जलाने पर प्रतिबंध लगा रखा है. बावजूद इसके पुआल जलाने वाले किसानों की संख्या कम नहीं रही है. ऐसे ही करीब 6 हजार किसानों को ब्लैकलिस्टेड किया गया है.

खेतों में पराली जलाने की घटना गंभीर चिंता का विषय है. कृषि विभाग ने कटाई के बाद पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ अभियान शुरू किया है. कृषि विभाग की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में राज्य के 20 जिलों के 6,066 किसानों को सरकार द्वारा काली सूची में डाला गया है. इन किसानों को काली सूची में डालने का मतलब है कि उन्हें अगले तीन वर्षों में सरकारी सब्सिडी और प्रोत्साहन नहीं मिल पाएगा.

उल्लेखनीय है कि सरकार कृषि विभाग में पंजीकृत किसानों के बैंक खातों में सीधे प्रोत्साहन और सब्सिडी हस्तांतरित करती रही है. इस कदम का उद्देश्य किसानों को पराली जलाने और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ उनके खेत की उर्वरता को नुकसान पहुंचाने से हतोत्साहित करना है.

ब्लैक लिस्टेड किसानों की सूची में रोहतास जिला सबसे ऊपर है. यहां कुल 2,273 लोग आदेश का उल्लंघन करने पर सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हो गए हैं. 1,195 किसानों को काली सूची में डालने के साथ कैमूर दूसरे स्थान पर है. इसके बाद बक्सर में 989, भोजपुर में 592, नालंदा में 431, गया में 174, पटना में 153, नवादा में 71, औरंगाबाद में 68 और जमुई में 50 किसान हैं. शेष किसानों को सीवान, गोपालगंज, बांका और मधुबनी जैसे 10 अन्य जिलों में काली सूची में डाल दिया गया है.

नीतीश सरकार ने बिहार के 6 हजार किसानों को दी बड़ी सजा, सारी सुविधाओं से किया वंचित...

पिछले महीने ही पटना के बापू सभागार में आयोजित राज्य स्तरीय खरीफ कार्यशाला में भी कृषि मंत्री ने अपने खेतों में पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कड़ी दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी थी. कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था. उसके बाद सभी जिला मुख्यालयों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए और फिर फसल अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए एलईडी वैन के माध्यम से गहन जागरूकता अभियान शुरू किया गया.

राज्य के कृषि निदेशक आदित्य प्रकाश के अनुसार विभाग किसानों को फसल अवशेष जलाने से हतोत्साहित करने के लिए कई तरह के उपाय अपना रहा है. इसके लिए न केवल जागरूकता अभियान चलाया है, बल्कि विभिन्न कृषि उपकरणों जैसे हैप्पी सीडर, स्ट्रॉ रीपर, स्ट्रॉ बेलर और रोटरी मल्चर पर सब्सिडी भी दिया जा रहा है.

हालांकि विभाग के दावों और सरकार की ओर से किसानों को सजा के तौर पर काली सूची में डालने को किसान इस समस्या का समाधान नहीं मानते हैं. किसानों के अनुसार अपशिष्ट निस्तारण के लिए सरकार की ओर से कोई ठोस विल्कप पेश नहीं किया जाता है जिस कारण मजबूरी में पुआल को जलाना पड़ता है.

किसानों का कहना है कि धान के पराली को जलाने से पहले किसान जहरीले धुएं में सांस लेते हैं. इसलिए हम इसे जलाना नहीं चाहते, लेकिन हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. अगर सरकार कोई मदद देने में विफल रहती है, तो हम इसे जलाते रहेंगे. इसलिए अधिकारियों को किसानों को परेशान करने के बदले पुआल निस्तारण का विकल्प पेश करना चाहिए.

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