राजद कोटे से भूरा बाल साफ होना संयोग या प्रयोग?

राजद कोटे से भूरा बाल साफ होना संयोग या प्रयोग? समझिये बिहार के वर्तमान सवर्ण राजनीति …

बिहार भूमिहार राजनीति

राजद कोटे से भूरा बाल साफ होना संयोग या प्रयोग? इस पोस्ट के माध्यम से समझिये बिहार के वर्तमान सवर्ण राजनीति को। बिहार में सवर्णों को राजनीति से बाहर करने की पूरी प्रयास की जा रही है। आए दिन ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं जो कहीं नहीं तो कहीं सवर्ण विरोधी साबित हो रही है।

बिहार की मौजूदा महा गठबंधन सरकार में राजद कोटे से अब कोई भी सवर्ण मौजूदा मंत्रिमंडल में शामिल नहीं है। कभी भूरा बाल (भूमिहार राजपूत ब्राह्मण और लाला) की खिलाफत कर एमवाई (मुस्लिम यादव) समीकरण के बल पर बिहार की सत्ता पर काबिज होने वाली राजद ने खुद को ए टू जेड की पार्टी होने का खूब दंभ भरा।

राजद कोटे से भूरा बाल साफ होना संयोग या प्रयोग?

पर सत्ता में वापसी होते ही अपने पुराने ढर्रे पर लौट गई है। मौजूदा सरकार में भूमिहार कोटे से अनंत सिंह के करीबी एमएलसी कार्तिक सिंह को पहले कानून मंत्री फिर गन्ना विभाग का मंत्री बनाया गया अपराधिक मामले के चलते उन्हें मंत्री पद गंवाना पड़ा।

राजद कोटे से भूरा बाल साफ होना संयोग या प्रयोग?

दूसरी तरफ राजपूत जाति से आने वाले सुधाकर सिंह को कृषि मंत्री बनाया गया सुधाकर सिंह लगातार अपने विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर सवाल उठा रहे थे। उन्होंने अपना इस्तीफा अपने दल के नेता तेजस्वी यादव को भेजा था। उनके पिता जगदानंद सिंह राजद के प्रदेश अध्यक्ष है। इन दोनों को भरोसा था कि तेजस्वी सुधाकर सिंह द्वारा उठाए गए सवालों को लेकर नीतीश कुमार पर दबाव बनाएंगे पर उल्टे तेजस्वी ने सुधाकर सिंह का इस्तीफा नीतीश कुमार को भेजा और नीतीश कुमार ने सीधे उसे राज्यपाल के पास अनुमोदन के लिए भेज दिया।

ऐसे में सुधाकर सिंह की राज्य मंत्रिमंडल से छुट्टी हो गई। राजद कोटे से किसी ब्राह्मण या कायस्थ को मंत्री नहीं बनाया गया था। अब कार्तिक सिंह और सुधाकर सिंह के इस्तीफे के बाद राजद के मंत्रियों की लिस्ट सवर्ण विहिन हो गई है। बिहार में मौजूदा समय में 2 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने जा रहा है यह विधानसभा क्षेत्र है मोकामा और गोपालगंज।

मोकामा भूमिहार बहुल क्षेत्र है जबकि गोपालगंज राजपूत बहुल। मोकामा सीट राजद के ही विधायक अनंत सिंह के एक आपराधिक मामले में दोषी होने के बाद खाली हुई है। जबकि गोपालगंज सीट भाजपा के सुभाष सिंह के निधन के कारण। मोकामा से अनंत सिंह की पत्नी अपनी दावेदारी पेश कर रही है लेकिन अभी तक टिकट का कोई औपचारिक घोषणा नही हुआ है।

अब राजद को लेकर राजद की वोटों में ही दुविधा है। जो अपर कास्ट के वोटर है वह राजद का असली गेम प्लान समझने लगे हैं कि किस तरह से ए टू जेड की पार्टी होने का दावा करने वाली राजद ऊंची जातियों को दरकिनार करने में लगी है। हालांकि राजद से जुड़े सूत्र बताते हैं कि ऐसा कुछ नहीं है फिर राज्य मंत्रिमंडल में किसी राजपूत भूमिहार का मंत्री नहीं होना एक बड़ा सवाल उठाता है।

सुधाकर सिंह के इस्तीफे के बाद कई राजपूत चेहरे हैं जो राज्य मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं। इसमें सबसे ज्यादा चर्चा में नाम है राजद एमएलसी सुनील कुमार सिंह का। सुनील कुमार सिंह लालू परिवार के सबसे विश्वसनीय लोगों में शामिल है। ब्राह्मण कोटे से राजद थिंक टैंक में शामिल शिवानंद तिवारी के विधायक पुत्र राहुल तिवारी तथा सिवान के बड़हरिया से विधायक बच्चा जी पांडे मंत्री पद के प्रबल दावेदार है।

भूमिहार कोटे से राजद का कोई विधायक नहीं है। ऐसे में चुनाव जीत कर आए दो एमएलसीयो की किस्मत का ताला खुल सकता है। हालांकि चर्चा यह है कि अगर मोकामा से अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी चुनाव जीतती हैं तो उन्हें भूमिहार कोटे से मंत्री बनाया जा सकता है। लेकिन मेरा मानना इसके विपरीत है। राजद से कोई कायस्थ विधायक या एमएलसी नहीं है फिर भी दो-चार करीबी लोग हैं जिन पर तेजस्वी की नजर है।

जिनमें विनोद श्रीवास्तव का नाम काफी चर्चा में है। नीतीश कुमार की अगुवाई में बनी महा गठबंधन सरकार में राजद कोटे की सभी मलाईदार विभाग तेजस्वी यादव ने खुद अपने पास रखा है। खबर है कि लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर राजद फिर से मुस्लिम यादव समीकरण के तरफ तेजी से बढ़ रही है। राजद को बिहार के अपर कास्ट के वोटरों पर शायद भरोसा नहीं है। बिहार के सत्ता में वापसी के बावजूद जो प्रतिनिधित्व अपर कास्ट को मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रहा है।

बेटे सुधाकर सिंह के इस्तीफे के बाद राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है। खबर है कि जगदानंद सिंह भी राजद के इस नई कार्यशैली से खुश नहीं है। हालांकि डैमेज कंट्रोल के लिए कई बड़े नेताओं को लगाया गया है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव मिशन तेजस्वी की राह में आने वाले किसी भी व्यक्ति को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है।

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राजद के तमाम नेताओं और प्रवक्ताओं को तेजस्वी के सीएम बनने संबंधी बयान देने पर रोक लगा दी गई है। राजपूत और भूमिहार कोटे की खाली हुई मंत्री पद पर नए चेहरों की तैनाती नहीं होने से संशय की स्थिति बनी हुई है। मीडिया सूत्रों के अनुसार पार्टी से नाराज चल रहे जगदानंद सिंह ने भी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटने का मूड बना लिया है।

राजद कोटे से भूरा बाल साफ होना संयोग या प्रयोग?

जेल में बंद पूर्व सांसद आनंद मोहन के मामले पर भी राजद की चुप्पी गलत संदेश दे रही है। उत्तर बिहार में राजद का सबसे बड़ा चेहरा प्रभुनाथ सिंह का है। उनके भाई केदारनाथ सिंह लगातार तीसरी बार बनियापुर से विधायक हैं। उनको भी मंत्री नहीं बनाए जाने को लेकर प्रभुनाथ समर्थक निराश हैं। राजपूत जाति से हीं आने वाले चेतन आनंद, रामा सिंह की पत्नी, रणविजय सिंह समेत कई ऐसे चेहरे हैं जो राजद कोटे से मंत्री बनने की दौड़ में हैं।

पर सूत्र बताते हैं कि अगर राजपूत कोटे से मौजूदा मंत्रिमंडल में कोई नई इंट्री होगी तो वह नाम के एमएलसी सुनील कुमार सिंह का हो सकता है। जो कृषि और सहकारिता मामले के जानकार हैं तथा राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के सर्वाधिक विश्वस्त लोगों में शामिल है। अब ये खबर कितनी पक्का है ये तो समय हीं बताएगा।

राजद के लिए अपना सबकुछ समर्पित करने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह, महाराजगंज के सांसद रहे उमाशंकर सिंह, विजय कृष्ण जैसे समर्पित राजपूत नेताओं के साथ जो कुछ हुआ उसे भी भुलाया नहीं जा सकता। मौजूदा समय में राजद की राजनीति में भले प्रभुनाथ सिंह, आनंद मोहन का परिवार राजद के प्रति समर्पित हो पर राजद के अंदर इन दोनों को लेकर भी संशय की स्थिति है।

महागठबंधन की सरकार बन जाने के बाद अब कोई आनंद मोहन की रिहाई को लेकर कोई सवाल नहीं उठा रहा है। राजद के अंदर राजपूत राजनीति एमएलसी सुनील कुमार सिंह के इर्द-गिर्द घूम रही है। सुनील कुमार सिंह ने कई राजपूत चेहरों को पार्टी में शामिल कराया और विधानसभा के चुनाव में टिकट भी दिलवाया जिसमें अधिकांश ने सफलता भी पाई।

अब जबकि सुनील कुमार सिंह को ही मंत्री बनाए जाने में विलंब हो रहा है ऐसे में उनके स्वजातीय वोटरों में भी राजद को लेकर संशय की स्थिति कायम हो गई है। अब देखना ये होगा की आगामी दिनों में बिहार में राजपूत राजनीति किस ओर बढ़ेगा।

भूमिहार जाती बिहार समेत देश के सबसे संपन्न राजनीतिक धुरी रही है। लेकिन पिछले कई दशकों से भूमिहार को राजनीतिक अछूत बनाने की लगातार कोशिश की जा रही है। बिहार की राजनीति में अब भी भूमिहारों के कई बड़े चेहरे हैं जिसपर सहजता से विचार किया जा सकता है। आज फिर लालू यादव के ‘भूराबाल साफ करो’ वाला नारा सही साबित हो रहा है।

बिहार में भूमिहार के सबसे उभरते नेता के रूप में राजपा वाले आशुतोष को सब स्वीकार रहा है। आशुतोष कुमार का तेजी से बढ़ते लोकप्रियता आनेवाले दिनों में कई सवर्ण विरोधी नेताओं के गले का फांस साबित होगा। पिछले दिनों हुए बोचहाँ उपचुनाव में आशुतोष कुमार भूमिहार समाज के लोगों को राजद समर्थित उम्मीदवार को वोट करने का आग्रह किया। लोगों ने आशुतोष कुमार के आवाहन पर वोट करते हुए आशुतोष का लोहा मनवाया।

आशुतोष कुमार (Ashutosh Kumar RJJP) top bhumihar leader of bihar

भारतीय सेना की नौकरी छोड़, अपने भूमिहार समाज के उत्थान के लिए संघर्ष कर बिहार समेत देश की राजनीति में अपना पैठ बनाने वाले आशुतोष कुमार आज भूमिहार युवाओं के शिरमौर हैं। सवर्ण आरक्षण, परशुराम छात्रावास तथा सवर्ण आयोग बनाने समेत कई सवर्ण समर्थित मांगों को लेकर आशुतोष कुमार लगातार संघर्ष कर रहे हैं। उन्हें इसके लिए तिहार जेल तक जाना पड़ा।

आशुतोष कुमार और उसकी राष्ट्रीय जन जन पार्टी अभी राजनीतिक रूप से नयूट्रल है। वहीं आशुतोष कुमार का राजनीतिक विचार स्पट है। कई बार आशुतोष ने कहा है की जो हमको उचित सम्मान देगा तथा हमारे अधिकार की बात करेगा उसको हम अपना समर्थन देंगे। फिल्हाल अभी आशुतोष बिहार-झारखंड में अपने पार्टी को मजबूत करने में लगें हैं।

#BharatRatn4ShreeBabu

वहीं बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री बिहार केशरी श्रीकृष्ण सिंह को भारत रत्न देने की मांग भी बिहार में तेजी पकड़ ली है। बिहार केशरी श्री बाबू जयंती महोत्सव के दिन यानी 21 अक्टूबर को सोशल मीडिया पर वॉइस ऑफ भूमिहार नामक पेज द्वारा #BharatRatn4ShreeBabu ट्रेंड करवाने की आवाहन भी की गयी है।

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