बुधवार की सुबह तक बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय सिन्हा (Vijay Kumar Sinha Leader of Opposition Bihar) बुधवार की शाम होते-होते विधानसभा में नेता विपक्ष बन गए। नीतीश कुमार के नेतृत्व में 9 अगस्त तक चली एनडीए सरकार में डिप्टी सीएम बीजेपी विधायक दल के नेता तारकिशोर प्रसाद और उपनेता रेणु देवी नेता विपक्ष के रेस में पिछड़ गए और बतौर स्पीकर ही नीतीश कुमार से सदन में भिड़ गए विजय सिन्हा ने नेता विपक्ष पद की बाजी मार ली।
माना जा रहा है कि विजय सिन्हा को नीतीश से विधानसभा में टकराने के बाद नीतीश के विरोध के चेहरे के तौर पर देखा जा रहा था जिसे पार्टी ने समुचित तौर पर स्वीकार कर लिया है। और दूसरा कारण विजय कुमार सिन्हा का भूमिहार (Bhumihar Leader Vijay Kumar Sinha) होना भी माना जा रहा है।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने औपचारिक रूप से विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर बताया है कि मंगलवार को ही पार्टी विधायक दल की बैठक में विजय सिन्हा को विधानमंडल दल का नेता चुन लिया गया था। पत्र में बताया गया है कि विधानसभा में विजय सिन्हा और विधान परिषद में सम्राट चौधरी नेता विपक्ष होंगे।
कैसे विजय सिन्हा बने नेता विपक्ष
विजय सिन्हा और नीतीश कुमार का विधानसभा में टकराना संसदीय इतिहास के लिए भले एक खराब उदाहरण हो जब दोनों एक-दूसरे को परंपरा और नियम समझा रहे थे लेकिन यह सीधी तकरार विजय सिन्हा के पक्ष में गई। पहले भी जब 2020 में विधानसभा अध्यक्ष के लिए नाम चला था तो नंद किशोर यादव से प्रेम कुमार तक का नाम चला था लेकिन आखिर में पार्टी ने विजय सिन्हा को चुना। पार्टी की नजर विजय सिन्हा पर पहले से थी।
पार्टी ने बिहार में नया नेता और नेतृत्व उभारने के मकसद से सुशील कुमार मोदी को बिहार से दिल्ली बुला लिया, नंद किशोर यादव और प्रेम कुमार तक को किनारे कर दिया लेकिन पिछले दो साल में नीतीश सरकार में शामिल भाजपा के मंत्री उस अपेक्षा पर खरे नहीं उतर पाए। ऐसे में जब नीतीश कुमार महागठबंधन सरकार के मुखिया बन गए तो नीतीश के खिलाफ सबसे मजबूत चेहरा के तौर पर पार्टी को विजय सिन्हा से बेहतर कोई विकल्प नहीं दिखा।
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बिहार में भूमिहारों का राजनीतिक उदय
आपने विगत दिनों से देखा होगा की बिहार में फिर से भूमिहारों को अधिक तवज्जो मिलना शुरू हुआ है। राजपा सुप्रिमों के आमंत्रण पर परशुराम जयंती में बतौर मुख्य अतिथि तेजस्वी यादव का पहुँचना, बोचहाँ उपचुनाव मे भूमिहारों की भूमिका, राजद से 3 भूमिहार एमएलसी को टिकट मिलना और फिर उनका जितना, राजद कोटे से एक भी विधायक न होने के बावजूद कार्तिकेय सिंह को बिहार का कानून मंत्री बनाना और अब भाजपा द्वारा विजय सिन्हा को नेता विपक्ष बनाना। ये सभी घटनाक्रम बिहार में भूमिहारों का राजनीतिक उदय का प्रतिक है।
भाजपा साध रही जातीय समीकरण
जातीय समीकरण के हिसाब से भी देखें तो विजय सिन्हा भूमिहार जाति से आते हैं। भाजपा को बिहार में सवर्णों का ज्यादातर वोट लगातार कई चुनावों से मिल रहा है। भूमिहार जाति से बीजेपी ने बिहार से गिरिराज सिंह को केंद्रीय मंत्री बना रखा है। नीतीश की नई सरकार के कैबिनेट विस्तार में जेडीयू के चार विधायक शामिल नहीं हुए थे और संयोग से वो चार भूमिहार जाति से ही थे।
विजय सिन्हा का सदन में इस्तीफा देना भी रणनीति का हिस्सा
विजय सिन्हा को 9 अगस्त को ही पता चल गया था कि अब विधानसभा में उनके पास बहमत नहीं है लेकिन वो पद पर बने रहे। संजय जायसवाल के विधानसभा को भेजे गए पत्र से भी साफ है कि उन्हें मंगलवार को ही भाजपा विधानमंडल दल का नेता और नेता विपक्ष के लिए चुन लिया गया था लेकिन बुधवार तक कुर्सी पर टिके रहे।
उन्होंने बुधवार को विधानसभा में सत्र की शुरुआत की, अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में लगे आरोपों का जवाब दिया और जो कहना था वो कहकर इस्तीफा दे दिया। जायसवाल ने विजय सिन्हा को नेता विपक्ष बनाने का पत्र विधानसभा अध्यक्ष को तब भेजा जब सिन्हा ने स्पीकर का पद छोड़ दिया।
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