BHUMY (भूमाई समीकरण): फाइनली दही चुड़ा समीकरण अर्थात भूमिहार मुस्लिम यादव (भूमाई) समीकरण पर आज मुहर लग गयी। कथित भूमाई समीकरण का पहला लिटमस टेस्ट एमएलसी चुनाव जिसमें राष्ट्रीय जनता दल ने बड़ी बाजी मारी, फिर दूसरा टेस्ट बोचहाँ का उपचुनाव था। यहां भी राष्ट्रीय जनता दल बड़ा लीड लेने में सक्षम रहा और अब तीसरे और अंतिम मोकामा और गोपालगंज के उपचुनाव में इस समीकरण की पुष्टि कर दी।
BHUMY (भूमाई समीकरण)
भूमिहार वोटर अब सब के हो गए हैं। दोनों राष्ट्रीय पार्टी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस से इसका एकाधिकार अब समाप्त हो गया। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और सरकार में हिस्सेदारी से तो नहीं कह सकते लेकिन वोटो के लिहाज से ए टू जेड की पार्टी बन गयी है। राष्ट्रीय जनता दल के वर्तमान नेता डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव इसके लिए बधाई के पात्र है।
दो-तीन दशक में वैसे भी कहीं की भी राजनीति करबट लेती ही है। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के प्रति भूमिहारों का प्रेम सबसे बड़ा फायदा यह रहेगा कि आप सामंती और शोषक के लगे लगने को राजद के साथ रहकर मिटा सकते हैं। मोकामा में अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी जी शुरू से लेकर लगातार अंतर तक बढ़त बनाए रखी। इनके समर्थकों का भी दावा ऐसा ही था।
लेकिन भाजपा प्रत्याशी सोनम देवी को एक बड़ी सफलता यह कहा जा सकता है कि अब तक अनंत सिंह के खिलाफ 2005 के बाद अनंत सिंह के किसी प्रसिद्धी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। इसकी वजह यह भी है कि अब तक अनंत सिंह के विरोधी दो तीन भागों में रहते थे लेकिन इस बार संयुक्त उम्मीदवार ललन सिंह थे। भारतीय जनता पार्टी अपने केंद्रीय नेताओं से लेकर तमाम विधायक और सांसद को चुनावी रण में उतार चुके थे।
लेकिन एक बात बहुत ही आश्चर्यजनक रही की बिहार भाजपा के पूरे हिंदुस्तान में फायरब्रांड नेताओं मे से एक और मोकामा से सटे खास केंद्रीय कैबिनेट मंत्री गिरिराज सिंह पूरे चुनाव कैंपेन से दूरी बनाए हुए रखें खुद को। ऐसा इसलिए कहा जाता है कि एक मेरे लाइव प्रोग्राम में मोकामा के जदयू नेता रितेश कन्हैया ने बताया था कि मोकामा में किसी भाजपा कार्यकर्ता की हत्या का आरोप वर्तमान भाजपा प्रत्याशी के पति पर था।
जिसमें गिरिराज सिंह न्याय के लिए आए हुए थे। अब लोग वापस चलते है गोपालगंज की और गोपालगंज में राजद ने जबरदस्त फाइट किया। निश्चित तौर से वहां पर तकरीबन 20000 बोट असउद्दीन ओवैसी की पार्टी और साधू यादव के द्वारा काटने के बावजूद वहां राष्ट्रीय जनता दल मात्र करीब 2000 वोटों से चुनाव हारी।
कौन से वर्ग ने इतना ज्यादा वोट राष्ट्रीय जनता दल को दिया। जाहिर है राष्ट्रीय जनता दल को गोपालगंज में वैश्य, भूमिहार, यादव और मुस्लिम समाज मे अपना 70 से अधिक प्रतिशत मतदान राजद के पक्ष में किया। गोपालगंज में राजपूत मतदाता के साथ अति पिछड़ो का वोट भारतीय जनता पार्टी को टक्कर में बनाए रखी।
गोपालगंज में जिस प्रकार से वैश्य मतदाताओं ने राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार को अपना समर्थन दिया है वह निश्चित रूप से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और दूसरे नेता दिलीप जायसवाल, तारकिशोर प्रसाद के योग्यता पर सवाल खड़े करती है। बहरहाल मोकामा में अनंत सिंह की भाजपा के इस प्रयास को भी विकल कर रही है कि 47 को 47 के बुते काटा जाए।
जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्थानीय मुंगेर सांसद ललन सिंह ने 2019 में अपनी प्रतिद्वंदी रही नीलम देवी के लिए जिस प्रकार से मोकामा में वोट जनता से मांगे और कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखे यह भी एक बड़ी बात रही। चोटिल होने के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने वीडियो संदेश जारी कर मोकामा की जनता से बोट देने की अपील की।
वहां पर नीतीश के जो भी पुराने और नए भरोसेमंद सिपाही के कार्यकर्ता थे उन्हें नीतीश जी के द्वारा स्कूल से फोन करके महागठबंधन के पक्ष में वोट देने की अपील जो की गई तथा कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष श्यामसुंदर सिंह धीरज के सक्रियता जो कि दिलीप सिंह से लेकर अनंत सिंह तक के विरोधी रहे और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश बाबू ने भी नीलम देवी के लिए कैंप किया।
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मतलब एकजुट महागठबंधन ने अनंत की अनंत जीत सुनिश्चित कर दी। मोकामा भूमिहार बाहुल्य इलाका है तो ऐसे में भूमिहार से दोनों के लिए सबसे ज्यादा प्रभावी रहे। भूमिहारों को प्रमुख सामाजिक संगठन भूमिहार ब्राह्मण सामाजिक फ्रंट जिसके प्रदेश अध्यक्ष वर्तमान भाजपा नेता सुरेश शर्मा जी है यह फ्रंट ने भी अनंत सिंह को समर्थन किया। इस संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष सुधीर शर्मा, पूर्व मंत्री अजीत कुमार जी, पटना लोकसभा क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी राजेश कुमार सिंह जी ने डोर टू डोर जाकर भूमिहारों के दरवाजा पर अनंत सिंह के लिए वोट देने की अपील की।
आशुतोष कुमार का समर्थन रहा अहम
वहीं भूमिहारों के प्रमुख संगठन यानी भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच फाउंडेशन के नेता व राष्ट्रीय जन जन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशुतोष कुमार भी 2 दिन मोकामा में कैंप करते रहे। वे पूर्व विधि मंत्री व वर्तमान पटना एमएलसी कार्तिकेय सिंह, बोचहाँ विधायक अमर पासवान समेत सेकडों राजपा कार्यकर्ताओं व नेताओ के साथ मोकामा विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख भूमिहार बहुल गाँव का दौरा कर लोगों से अनंत सिंह के पत्नी को वोट देने के लिए आग्रह किया।
आशुतोष कुमार का मोकामा दौरा अहम माना गया। आशुतोष कुमार के अपील पर बहुत अनंत खेमे से खफा भूमिहार मतदाता अनंत सिंह के पत्नी नीलम देवी के पत्नी के पक्ष में वोट किया। वहीं आशुतोष कुमार ने यह सिद्ध किया की जहाँ भी भूमिहारों की संख्या है वहाँ आशुतोष फैक्टर मजबूती से काम करता है। आशुतोष कुमार पहले भी अनंत सिंह के लिए आवाज उठाते आये हैं।
यूपी और मध्य प्रदेश से भी प्रभावशाली भूमिहारों की टीम अनंत सिंह के पक्ष में आकर वोट देने की अपील की। Bhumihar, बाभन और भूमिहार ब्राह्मण विचार मंच जैसे बड़े सोशल मीडिया के ग्रुप और पंज अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी के समर्थन में लगी रही। वहीं वॉइस ऑफ भूमिहार नामक प्लेटफॉर्म डिजिटली नीलम देवी के लिए लगातार कंपैन करती रही।
दूसरे शब्दों में यु कहा जाए कि नीलम देवी और अनंत सिंह की जीत एक जन भावना की जीत है। बोचहा के बाद मोकामा में हार और गोपालगंज में अंतर की भाजपा की जीत ने भूमिहारों को भाजपा से मोटा मोटी रूप से अलग कर दिया है। हालांकि अब वक्त बताएगा कि भारतीय जनता पार्टी की रणनीति क्या रहती है। मोकामा में पहुंचकर सुशील मोदी ने भूरा बाल साफ करो के नारों को भी याद दिलाने की कोशिश की लेकिन वह सब अप्रभावी रहा।
कुढ़नी विधानसभा का पॉलिटिकल पोस्टमार्टम
पांच दिसंबर को कुढ़नी सीट पर विधानसभा का उपचुनाव है। कुढ़नी में भूमिहार, कोइरी, मल्लाह, यादव वोटरों की संख्या अच्छी खासी है। मुसलमान और वैश्य वोटर भी प्रभावशाली हैं।
आरजेडी के टिकट के लिए पूर्व विधायक साधु शरण शाही के पोते नीलाभ कुमार भी कोशिश कर रहे हैं। चार बार विधायक रहे और 1990 में आखिरी बार जीते साधु शरण शाही इस सीट से आखिरी भूमिहार विधायक थे। 1995 में भूमिहार जाति के बाहुबली अशोक सम्राट निर्दलीय चुनाव लड़े थे और लालू की पार्टी के बसावन भगत जो कि कोइरी जाति के थे उनसे हारे थे।
2000 में एनडीए ने ब्रजेश ठाकुर को उतारा था जो बीजेपी के उम्मीदवार थे। 2005-2015 तक मनोज कुशवाहा जेडीयू के विधायक रहे। 2015 में केदार गुप्ता बीजेपी से जीते। 2020 में अनिल सहनी आरजेडी के टिकट पर महज 712 वोट से विजयी हुए थे। अब देखना होगा 2022 में हो रहे इस उपचुनाव में कौन जीतता है।
हमारी आंतरिक सूत्र के अनुसार यहाँ पर भी आशुतोष कुमार अपना भूमिहार वोट को साधने आयेंगे। वैसे अभी तक आशुतोष कुमार या पार्टी द्वारा किसी भी प्रकार का औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है। अब ये देखना होगा की क्या यहाँ का भी भूमिहार वोट राजद के तरफ शिफ्ट करता है या नहीं। अगर ऐसा होता है तो 2022 की संपूर्ण राजनीति चुरा दही समीकरण के इर्द गिर्द हीं साबित होगी।
बहरहाल छोटे सरकार और तेजस्वी यादव दोनों को शुभकामनाएं। तेजस्वी यादव को मुफ्त की सलाह की ए टू जेड़ के लोग अब आप को वोट दे रहे हैं आप भी अपने दल और सरकार में जगह दे। आप जो युवाओ के लिए रोजगार की बात कर रहे थे उस पर लगातार काम करें। मेरी शुभकामनाएं महागठबंधन और भाजपा दोनों को है।
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Ashutosh Kumar Jindabaad