भूमिहार त्यागी ब्राह्मण एकता महारैला : विगत कुछ महीनों से बिहार में काफी राजनीतिक उथल पुथल देखने को मिली है। इन चंद महीनों में तीन तीन उपचुनावें हुईं, सरकारें गिरी, नई सरकारें बनी, खूब अनाप सनाप बयानबाजी हुई और ना जानें पर्दे के पीछे पीछे क्या क्या हो रही है। लेकिन अगर कोई एक चेहरा सबसे चर्चा में रहा है तो वो है सवर्णों के हक की लडाई लड़ने वाले नेता आशुतोष कुमार का।
आशुतोष कुमार
आशुतोष कुमार, ये नाम आपने भी जरूर सुना होगा। लगभग पिछले आठ सालों में आशुतोष कुमार न जानें कितने कार्य किये हैं और तब जाके आज खुद को स्थापित कर पाएं हैं। भूमिहार समाज के सामाजिक व राजनीतिक उत्थान को संकल्पित भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच फाउंडेशन का स्थापना कर डंके की चोट पर अधिकारों की बात करते रहे।
7 नवंबर 2019 को पटना के गांधी मैदान में लाखों कि संख्या वाले अब तक का सबसे बड़ा भूमिहार ब्राह्मण समाज का सम्मेलन का नेतृत्व करते हुए इसी इतिहास को फिरसे दोहराया। सभी वर्गों के उत्थान के लिए समूचित आरक्षण के लिए कई बार धरना प्रदर्शन का आयोजन किया, लाठियाँ खाया और जेल तक गया।
आर्थिक आधार पर आरक्षण, सवर्णों के उम्र सीमा और फीस में छुट, सवर्ण आयोग का संवैधानिक दर्जा के लिए संघर्ष, एससी एसटी एक्ट से हो रहे अन्याय का विरोध, परशुराम छात्रावास का निर्माण, भगवान परशुराम जयंती पर राजकीय छुट्टी की मांग, बिहार केशरी श्री बाबू को भारतरत्न दिलाने की मुहिम को लेकर मोर्चा खोलना, आये दिन सवर्ण समाज के लोग के साथ हो रहे अन्याय को लेकर मुखर होना धरना देना और प्रशासन पर दवाब बनाकर न्याय दिलवाना ….
वैसे हीं नहीं आशुतोष कुमार को सवर्णों ने अपना नेता चुना है। एक कहावत प्रचलित है की भूमिहार कभी एक नहीं हो सकता है। आशुतोष कुमार वो शक्स है जो इसको गलत साबित करने का कसम खाया है और इसके पीछे एंडी चोटी एक करके मेहनत कर रहा है। आशुतोष कुमार अब तक करीब तीन हजार से अधिक भूमिहार बहुल गांव का भ्रमण कर एकता का संकल्प लेने की वाकलत किया है।
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उत्तरप्रदेश में चर्चित श्रीकांत त्यागी के साथ हुए अन्याय के खिलाफ लाखों की संख्या में एकत्रित हुए त्यागी समाज के लोग (नॉएडा में बुलाए गए त्यागी महापंचायत) के बीच आशुतोष कुमार का दहाड़ और सरकार को ललकारना खूब सुर्खियां बटोरी थी।
इधर हाल में जमशेदपुर में कार्यक्रम करके बिहार लौटते हीं छपरा में घटी घटना को लेकर राजपूत समाज के परिवार को दुःख के घड़ी में ढाँढस बढ़ा कर सवर्णों का असली एकलौता नेता होने का प्रमाण भी दिया। वैसे तो आशुतोष ने लंबी चौडी काफिला के साथ छपरा कुच करना चाहा लेकिन प्रशासन ने सिर्फ चार लोगों को अनुमति दिया।
भूमिहार त्यागी ब्राह्मण एकता महारैला
विगत कुछ महीनों में हीं बिहार में परशुराम जयंती का आयोजन करके तेजस्वी यादव के मुँह से भूमिहार समाज का बराई करवाना और उचित भागीदारी और सम्मान दिलाने का भी वादा करवा लिया। बिहार की राजनीति में भूमिहारों का मान बढ़ाने वाले, सम्मान बढ़ाने वाले और पूछ बढ़ाने वाले आशुतोष कुमार अब “भूमिहार त्यागी ब्राह्मण एकता महारैला” का आयोजन करवाने जा रहा है।
नवंबर 2023 में दिल्ली के #रामलीला_मैदान में भूमिहार त्यागी ब्राह्मण एकता महारैला का आयोजन किया जाएगा।
अब भीख नहीं मांगेंगे, अपना हक लड़कर लेंगे।— Ashutosh Kumar (@AshutoshBiharKa) February 11, 2023
आशुतोष कुमार ने घोषणा करते हुए कहा की नवंबर 2023 में दिल्ली के रामलीला मैदान में “भूमिहार त्यागी ब्राह्मण एकता महारैला” का आयोजन किया जायेगा। वे नारा देते हैं की ‘अब भीख नहीं मांगेंगे, अपना हक़ लड़कर लेंगे’। जैसे हीं इस रैला से जुड़ा कोई अपडेट आयेगा, हम आपतक जरूर पहुंचायेंगे।
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