परसागढ़ी: हिंदी विद्यालय होने के बावजूद प्राथमिक विद्यालय मुस्लिम टोला हनुमानगढ़ी में शुक्रवार को साप्ताहिक छुट्टी दी जाती है। यह स्कूल परसागढ़ी दक्षिण पंचायत में अवस्थित है।
इस संबंध में विद्यालय के प्रभारी प्रधान राजिंद्र ऋषिदेव से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि इस विद्यालय में 85 फीसद बच्चे उर्दू वाले हैं। शुक्रवार को नहीं के बराबर उपस्थित होते हैं यही वजह है कि यहां शुक्रवार को ही साप्ताहिक छुट्टी दी जाती है। हालांकि. मंगलवार को भी विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति कुछ खास नहीं देखी गई।
विद्यालय में नामांकित बच्चों की संख्या 234 है किंतु उपस्थिति मात्र 89 थी। विद्यालय में शिक्षकों की संख्या पांच है किंतु मंगलवार को एक शिक्षक सिंटू कुमार विद्यालय से बगैर सूचना गायब थे। प्रधान का कहना है कि उनके द्वारा सूचना नहीं दी गई है कि वे विद्यालय नहीं आएंगे। चार शिक्षकों की फोटो विभाग को भेजी गई है।
इसके बाद भी साढ़े 11 बजे तक उपस्थिति पंजी में उनका अवकाश नहीं भरा गया था। विद्यालय में मध्याह्न भोजन बनाया जा रहा था। स्थानीय लोगों का कहना है कि विभागीय औचक निरीक्षण में बरती जा रही लापरवाही के कारण आज भी सुदूर देहाती क्षेत्र में चल रहे विद्यालय में शिक्षा व्यवस्था में सुधार नहीं हो रहा है।
369 छात्राएं लेकिन क्लासरूम वीरान
बात करें, सुपौल के कन्या प्रोजेक्ट उच्च माध्यमिक विद्यालय पिपरा में जहां नौवीं कक्षा में 112 दसवीं कक्षा में 121 और 11वीं कक्षा में 136 कुल मिलाकर 369 छात्राओं का नामांकन है। यहां शिक्षकों की संख्या 12 है। इन सबके बावजूद यहां छात्राओं की उपस्थिति नहीं रहती है। मंगलवार को 11 बजे विद्यालय में चार छात्राएं मौजूद थी। शिक्षकों को छात्राओं की उपस्थिति की नहीं बल्कि अपनी उपस्थिति की चिंता रहती है।
स्थानीय लोग बार-बार इस विद्यालय की शिकायत करते रहते थे। लोगों की शिकायत पर जब विद्यालय का हाल जानने का प्रयास किया गया तो लोगों की शिकायत जायज लगी। विद्यालय में एक शिक्षक चार बच्चियों को पढ़ा रहे थे। एक वर्ग कक्ष में शेष शिक्षक बातचीत में मशगूल थे।
प्रधानाध्यापिका सुलेखा कुमारी अपने चेंबर में बैठकर विद्यालय संबंधी कार्य निपटा रही थीं। विद्यालय में छात्राओं की उपस्थिति कम होने की बात पूछने पर कहा कि अभी विद्यार्थी कम आ रहे हैं लेकिन धीरे-धीरे संख्या बढ़ेगी। प्रयोगशाला के बारे में बताया कि सामग्री तो है लेकिन यूज़ नहीं हो रही।
विद्यालय में 10 कंप्यूटर भी हैं लेकिन खराब पड़े हैं। शौचालय की स्थिति अच्छी नहीं है। लाखों की खेल सामग्री को भी रखरखाव के अभाव में जंग खा रहा है। प्लस टू के भवन भी धीरे धीरे जर्जर होते जा रहे हैं।
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