President Election 2022: राम नाथ कोविंद का कार्यकाल 25 जुलाई 2022 को खत्म हो रहा है। वहीं आगामी पांच वर्ष के लिए राष्ट्रपति का चयन प्रक्रिया चालू है। आपको बताएं राष्ट्रपति पद के लिए 18 जुलाई को वोटिंग होनी है। इसके लिए पूरी तैयारी की जा रही है।
President Election 2022
बीजेपी ने एनडीए समर्थित उम्मीदवार के तौर आदिवासी महिला उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को आगे किया है, तो कांग्रेस ने यूपीए ने पूर्व बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) को उम्मीदवार बनाया है। वर्तमान में यशवंत सिंहा टीएमसी में हैं। अब तक के इतिहास को खंगालने पर पता चलता है की ज्यादातर सत्ता पक्ष के उम्मीदवार की ही जीत हासिल हुई है। ऐसे में द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना लगभग तय माना जा रहा है। अगर द्रोपती मुर्मू चुनाव जीतती है तो भारतीय इतिहास में वह इस देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति (First ST President of India) होंगी।
राष्ट्रपति पद के लिए देश में अब तक 15 बार चुनाव हो चुके हैं और इस पद की कुर्सी पर 14 शख्सियत काबिज हुए हैं। डॉ राजेंद्र प्रसाद लगातार दो बार राष्ट्रपति रहे और ऐसा करनेवाले वह एकमात्र शख्स हैं। हालांकि वराहगिरी वेंकट गिरी (VV Giri) भी दो बार राष्ट्रपति रहे, लेकिन उनका कार्यकाल पुरा नहीं हो सका था। 3 मई 1969 से लेकर 20 जुलाई 1969 तक छोटे कार्यकाल के लिए और फिर 24 अगस्त 1969 से 24 अगस्त 1974 तक वराहगिरी वेंकट गिरी राष्ट्रपति रहे। दरअसल, जाकिर हुसैन और फखरुद्दीन अली अहमद की मृत्यु पद पर रहते हुए हो गई थी, इस वजह से तीन लोग कार्यवाहक राष्ट्रपति भी रहे।
राष्ट्रपति में कि जाती की कितनी हिस्सेदारी
अब तक देश में राष्ट्रपति पद पर 6 ब्राह्मण, 3 मुस्लिम, 2 दलित का नाम है। वहीं देश में अब तक हुए राष्ट्रपतियों में 6 ब्राह्मण, 3 मुस्लिम, 2 दलित, एक कायस्थ, एक सिख, जबकि एकमात्र महिला शामिल हैं। आजादी के बाद से लेकर अब तक डॉ राजेंद्र प्रसाद एकमात्र कायस्थ राष्ट्रपति हुए। इस बार दूसरे कायस्थ यशवंत सिन्हा को यूपीए ने उम्मीदवार बनाया है। हालांकि उनकी जीत की संभावना कम बताई जा रही है।
भारत के राष्ट्रपति और उनके जाती
क्रम | नाम | कार्यकाल | धर्म/जाति |
1. | डॉ राजेंद्र प्रसाद | 26 जनवरी 1950 – 13 मई 1962 | कायस्थ |
2. | डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन | 13 मई 1962-13 मई 1967 | ब्राह्मण |
3. | डॉ ज़ाकिर हुसैन | 13 मई 1967-03 मई 1969 | मुस्लिम |
4. | वराहगिरी वेंकट गिरी | 03 मई 1969-20 जुलाई 1969 | ब्राह्मण |
5. | वराहगिरी वेंकट गिरी | 24 अगस्त 1969-24 अगस्त 1974 | ब्राह्मण |
6. | फखरुद्दीन अली अहमद | 24 अगस्त 1974 -11 फरवरी 1977 | मुस्लिम |
7. | नीलम संजीव रेड्डी | 25 जुलाई 1977-25 जुलाई 1982 | ब्राह्मण |
8. | ज्ञानी जैल सिंह | 25 जुलाई 1982-25 जुलाई 1987 | सिख |
9. | आर वेंकटरमन | 25 जुलाई 1987-25 जलाई 1992 | ब्राह्मण |
10. | डॉ शंकर दयाल शर्मा | 25 जुलाई 1992-25 जुलाई 1997 | ब्राह्मण |
11. | श्री के आर नारायनन | 25 जुलाई 1997-25 जुलाई 2002 | दलित |
12. | एपीजे अब्दुल कलाम | 25 जुलाई 2002-25 जुलाई 2007 | मुस्लिम |
13. | प्रतिभादेवी सिंह पाटिल | 25 जुलाई 2007-25 जुलाई 2012 | राजपूत/महिला |
14. | प्रणब मुखर्जी | 25 जुलाई 2012-25 जुलाई 2017 | ब्राह्मण |
15. | रामनाथ कोविंद | 25 जुलाई 2017- 25 जुलाई 2022 | दलित |
बोलता है बिहार के फेसबुक पेज से जुड़ें
देश के किस हिस्से से कितने राष्ट्रपति?
आज़ादी के बाद से अब तक भारत के जो 14 राष्ट्रपति निर्वाचित हुए, उनमें से 6 राष्ट्रपति दक्षिण भारत (President from South India) से हुए हैं। इनमें सर्वपल्ली राधाकृष्णन, आर वेंकटरमण और एपीजे अब्दुल कलाम तमिलनाडु से थे, वहीं डॉ जाकिर हुसैन और नीलम संजीव रेड्डी आंध्र प्रदेश से, जबकि केआर नारायणन केरल से थे। वहीं 8 राष्ट्रपति उत्तर, पूर्व और पश्चिम भारत से हुए हैं।
भारत के राष्ट्रपति और उनके गृह राज्य
देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद बिहार से थे। फखरुद्दीन अली अहमद दिल्ली से थे। एकमात्र सिख राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह पंजाब से थे। इनके अलावा मध्य प्रदेश से शंकर दयाल शर्मा, पश्चिम बंगाल से प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति रहे। एकमात्र महिला राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल महाराष्ट्र से रही हैं। वहीं, वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश से हैं। और कुछ दिन में निर्वाचित होने वाली राष्ट्रपति द्रोपती मुर्मू उड़ीसा से होगा।
कांग्रेस, बीजेपी, संयुक्त मोर्चा… किस पार्टी ने किसे आगे किया?
बीजेपी यूं तो सवर्णों की पार्टी बताई जाती रही है, लेकिन तीन टर्म में अपने 14 साल के कार्यकाल में पार्टी ने मुस्लिम, दलित और आदिवासी महिला को राष्ट्रपति पद के लिए आगे किया। वहीं कांग्रेस ने 55 साल के अपने कई टर्म में ज्यादातर सवर्ण उम्मीदवारों को तबज्जो दिया और कांग्रेस सवर्ण के इर्द गिर्द हीं सिमटी रही। कांग्रेस कार्यकाल में ब्राह्मण, सिख, महिला, कायस्थ तो राष्ट्रपति बने, लेकिन एक भी आदिवासी या दलित राष्ट्रपति नहीं बन पाए। कांग्रेस ने अब तक 6 ब्राह्मण, 2 मुस्लिम, 1 कायस्थ, 1 सिख और एक राजपूत महिला को आगे किया, जो राष्ट्रपति बने।
देश में कई बार जनता दल, जनता पार्टी और संयुक्त मोर्चा की सरकार भी बनी, लेकिन 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई। मोरारजी देसाई के नेतृत्व में बनी गैर कांग्रेसी सरकार में ब्राह्मण उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी राष्ट्रपति चुने गए। दूसरी बार 1997 में गैर कांग्रेसी सरकार थी, लेकिन संयुक्त मोर्चा को बाहर से कांग्रेस का समर्थन था। इस बार दलित समाज से आने वाले केआर नारायणन राष्ट्रपति चुने गए थे। नारायणन इससे पहले कांग्रेस शासनकाल(1992) में उपराष्ट्रपति बनाए गए थे।
बीजेपी ने केंद्र में 3 टर्म रहते हुए किसी भी सवर्ण को राष्ट्रपति पद के लिए आगे नहीं किया। 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए ने मुस्लिम वैज्ञानिक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति पद के लिए आगे किया और वे लोकप्रिय राष्ट्रपति बने।
2014 में पीएम मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी और फिर 2017 में राष्ट्रपति चुनाव होना था। बीजेपी ने तब बिहार के राज्यपाल रहे दलित समाज से आने वाले रामनाथ कोविंद को आगे किया और वे तब से देश के राष्ट्रपति हैं। अब पीएम मोदी के ही नेतृत्व में बीजेपी का यह लगातार दूसरा कार्यकाल है और इस बार फिर से बीजेपी ने आदिवासी महिला उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को आगे किया है।
भूमिहार समाज का अब तक एक भी राष्ट्रपति नहीं
राजनीति अक्सर जाती के आधार पर तय होती है और जब भारत का नाम आये तो यह और बढ़ जाती है। देश के सभी राजनीतिक दल जातीय समीकरण और वोट बैंक को अक्सर साधति नजर आती है। सभी दल का किसी खास वर्ग और जाती पे अक्सर ध्यान रहता है। देश के राजनीति में मजबूत पकड़ और अहम माने जाने वाली भूमिहार जाती का अब तक एक भी राष्ट्रपति नहीं बना।
देश की आज़ादी में महत्वपूर्ण रहे भूमिहार जाती पहले कांग्रेस को मजबूती से सिचतें आयी और पिछले दो दशक से भाजपा के कोर वोटर बने रहे हैं। आखिरकार इतना सब कुछ के बाद भी किसी भूमिहार को राष्ट्रपति क्यों नहीं बनाया गया; ये तो बड़ा सवाल और मुद्दा है। भूमिहार के कई बड़े नेता राष्ट्रपति के लायक हैं। उत्तरप्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र ग़ाज़ीपुर से राजनीति के शिखर का सैर करने वाले मनोज सिन्हा राष्ट्रपति पद के लिए एक प्रबल विकल्प हैं। कभी इनके बारे में चर्चे भी नहीं हुए… क्यों… आखिर क्यों… राजनीतिक अछूत बनाने की मनसा तो नहीं है?
मखाना की खेती तथा औषधीय एवं अन्य उपयोग (How to do Fox Nut Farming)
Bhagwant Mann Marriage: दूसरी बार शादी के बंधन में बंधें पंजाब सीएम भगवंत मान, जाने किससे हुई शादी….