Politics of Mokama: किसी ने ठीक हीं कहा है कि सियासत कभी किसी की सगी न हुई है और न होगी। कब सबसे वफादार दोस्त छोड़कर चला जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। कब दुश्मन दोस्त बन जाए कहा नहीं जा सकता। कब दूसरे छोर पर खड़े गोल मार रहा साथ आ जाए कहा नहीं जा सकता।
बिहार और बिहार की राजनीति तो इससे कई कदम आगे है। यहां तो गोल पोस्ट ही शिफ्ट हो जाता है। हम ये बात क्यों कह रहे हैं इसे बताने से पहले आपको दो राजनीतिक बयान जो बिहार की राजनीति में कभी चर्चा में था उसे फिर से याद दिलाते हैं। पहला बयान बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी की है जो उन्होंने मीडिया के सामने फफक-फफक कर रोते हुए दी थी।
‘विवेका पहलवान के परिवार से हमारी पुरानी दुश्मनी है। उसके और हमारे घर के बीच एक दीवार है। उसके परिवार के लोगों ने हमारे घर में एके-47 और हथियार रखवाए। कोई घर में हथियार रखकर चला गया तो अनंत सिंह कैसे आरोपी हो गए? वो उस घर में पिछले 14 सालों से नहीं रह रहे हैं। सिर्फ सामाजिक काम के लिए वहां आते-जाते हैं। आरसीपी सिंह, ललन सिंह, भोला सिंह और नीरज मिलकर हमारे खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं। चुनाव लड़ने की वजह से ललन सिंह ने हमारे खिलाफ इतनी बड़ी साजिश रची है।
RCP की बेटी लिपि पर भी लगे थे आरोप
अब एक बयान सुनिए जो अनंत सिंह ने लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान दिया था। तब अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी ललन सिंह के खिलाफ मुंगेर से मैदान में थीं। ‘हद की भी एक सीमा होती है, अब जुल्म हो रहा है। लोकतंत्र का हनन हो रहा है। बाढ़ एएसपी लिपी सिंह जो सत्तापक्ष के आरसीपी सिंह की बेटी है, वे अपने पिता, नीतीश सरकार और ललन सिंह के हुक्म पे पक्षपात कर रही हैं।
एएसपी झूठे आरोप गढ़ कर महागठबंधन के कार्यकर्ताओं को डराने, धमकाने और झूठे मामलों में फ़साने का काम कर रही हैं। मोकामा थानाध्यक्ष राजेश रंजन बिहार सरकार के मंत्री और मुंगेर से लोकसभा प्रत्यासी ललन सिंह की जी-हजूरी में दिन रात एक कर वोट मांगते फिर रहे हैं, और लोगों को डरा-धमका रहे हैं।
आपने ये दो बयानों को पढ़ा और आप आज के वर्तमान राजनीतिक स्थिति को जान हीं रहें हैं। नितीश कुमार के शुरुआति दिनों में अनंत सिंह नितीश कुमार के सबसे करीबी माने जाते थे तथा बाढ़ लोकसभा क्षेत्र से नितीश कुमार को जीताने में अनंत सिंह अहम भूमिका निभा रहे थे। तब अनंत सिंह नितीश कुमार को चांदी के सिक्के से नाप दिया था। फिर बीच में भयंकर दुश्मनी और फिर आज दोस्ती जैसा माहौल दिख रहा है। शायद इसी को कहते हैं राजनीति।
मोकाम में ललन सिंह को मिली थी शिकस्त
लोकसभा चुनाव के दौरान ललन सिंह एनडीए खेमे में थे। जबकि अनंत सिंह की पत्नी महागठबंधन उम्मीदवार के तौर पर कांग्रेस की टिकट पर मैदान में थी। तब लालू और नीतीश साथ नहीं थे। राजनीति के पुराने खिलाड़ी ललन सिंह को अनंत सिंह की पत्नी जो पहली बार चुनाव मैदान में उतरी थी कड़ी टक्कर दे रही थी।
चुनाव परिणाम आया तो ललन सिंह ने जीत दर्ज की लेकिन मोकामा विधानसभा में अनंत सिंह को नहीं पछाड़ पाए। तब ललन सिंह ने बिना नाम लिए अनंत सिंह की होमियोपैथिक इलाज करने की बात कही थी। इसके बाद यह बातें काफी चर्चा का विषय बन गया था। लेकिन अब लगता है होमियोपैथिक इलाज का एक्शन खत्म हो गया है। अब ललन सिंह नीलम देवी के लिए वोट मांग रहे हैं।
तीन साल से जेल में हैं अनंत सिंह
अगस्त 2019 में अनंत सिंह ने बिहार पुलिस के काफी मेहनत पर पानी फेडते हुए कोर्ट में सरेंडर कर दिया। इसके बाद करीब तीन साल बाद जुलाई में उन्हें 10 साल की सजा सुनाई गई। अनंत सिंह के पैतृक गांव लदमा स्थित उनके आवास में पुलिस ने छापेमारी कर एक एके-47 राइफल, गोलियां और दो हैंडग्रेनेड बरामद किए थे। ये पुलिस का वक्तव्य है।
इसके बाद बाढ़ थाना कांड संख्या 389/19 के तहत भादवि की धारा 414, 120बी, 25 (1-ए), 25(1 एए), 25(1-बी), आर्म्स एक्ट, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, एवं यूएपीए एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। कोर्ट ने उन्हें 10 साल की सजा सुनाई। तब अनंत सिंह ने यह भी आरोप लगाया था कि नीतीश कुमार के करीबी आरसीपी सिंह की बेटी लिपि सिंह जो तात्कालीन बाढ़ एएसपी थी उन्होंने सरकार के इशारे पर साजिश कर उन्हें फंसाया। आरसीपी सिंह अब नीतीश के करीबी नहीं हैं।
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आरजेडी ने भी लगाया था साजिश का आरोप
अनंत सिंह की पार्टी आरजेडी ने भी तब कहा था-उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया है और यह सरकार की साजिश है। ‘अनंत सिंह के पीछे सरकार पड़ी हुई है और उन्हें जेल से निकलने नहीं देना चाहती है। सरकार नहीं चाहती है कि अनंत सिंह को न्याय मिले। ये सारे बयान नीतीश कुमार और उनके प्रिय नेता ललन सिंह के खिलाफ थे जो अंनत सिंह और उनकी पत्नी ने अभी दो-तीन महीने पहले तक लगाए थे।
‘अनंत दा का हो गया होमियौपैथिक इलाज!’
तब अनंत सिंह के एक चाहने वालों ने भी कहा था-आखिरकार सीएम नीतीश और ललन सिंह ने अपना बदला ले लिया। बाहुबली विधायक को नीतीश से पंगा लेना भारी पड़ गया। क्या जरूरत थी नीतीश से दुशमनी मोल लेने की। शांत रहते तो कम से विधायक तो रहते। ललन सिंह ने कर दिया ना होमियौपैथिक इलाज!
अब अनंत के लिए वोट मांग रहे हैं ललन
अब बदले सियासी दौर में जब नीतीश और लालू एक हो गए हैं और मोकामा में उपचुनाव हो रहा है तो इलाज करने की जिम्मेदारी उसपर आ गई है जिसपर दर्द देने का आरोप है। मतलब अनंत सिंह जिसपर विधायकी से हटाने का आरोप लगाते थे वही अब उनके लिए वोट मांगते नजर आ रहे हैं। ललन सिंह अंनत सिंह के लिए आज यानी बुधवार को वोट मांगने निकले हैं।
वह अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी के लिए यहां वोट मांगने पहुंचे हैं। जबकि अनंत सिंह ललन सिंह को देखना पसंद नहीं करते थे। दोनों में 36 का आंकड़ा रहता था। अब तक दोनों एक दूसरे के कट्टर सियासी दुश्मन माने जाते थे। लेकिन अब अनंत सिंह की पत्नी के समर्थन में चुनाव प्रचार कर रहे हैं।
उस मोकामा क्षेत्र में जहां उन्हें नीलम देवी ने ही शिकस्त दी थी। इस शह मात के खेल में सबसे मजेदार बात यह है कि ललन सिंह उस ‘ललन सिंह’ की पत्नी के खिलाफ मैदान में हैं जिन्हें उन्होंने खुद अनंत सिंह के खिलाफ खड़ा किया था। यही राजनीतिक उठापटक आज तक चलती रही। अब सब सामान्य है और नीलम देवी, कार्तिक मास्टर और लल्लन सिंह मिलकर चुनावी क्षेत्र का दौरा कर रहे।
इस पूरे प्रकरण में खास है भूमिहार
आपने ऊपर पुरा राजनीतिक घटनाक्रम को समझा। अब हम सबमें खास बात बता रहे हैं। ये सभी भूमिहार जाती से आते हैं और ऐसा माना जाता है मोकामा क्षेत्र में सिर्फ भूमिहार का हीं चलती है। भाजपा द्वारा जो प्रत्याशी उतारा गया है वो भी भूमिहार जाती से आते हैं। उधर भाजपा के समर्थन में सुरजभान सिंह वोट मांग रहे हैं।
ऐसा कई बार सुनने को मिलता रहा है की नितीश कुमार भूमिहारों को हीं अपने साथ रखते हैं तथा उसका राजनीतिक उपयोग करते हैं। आप उनके करीबियों की अगर सूची देखेंगे तो अधिकतर भूमिहार जाती से हीं आने वाले लोग मिलेंगे। ये भूमिहारों का आरोप है।
आशुतोष का बोचहाँ के बाद मिशन मोकामा
वहीं भूमिहार समाज की राजनीति कर नई पार्टी बनाने वाले राजपा सुप्रिमों आशुतोष कुमार भी 28 अक्तूबर को मोकामा का दौरा करने वाले हैं। आशुतोष कुमार के पास भूमिहार समाज का बड़ा जनाधार है। मिली जानकारी के मुताबिक अनंत सिंह को उन्होंने अपना समर्थन दिया है। आशुतोष कुमार बोचहाँ उपचुनाव, परशुराम जयंती के बाद बिहार की राजनीति में काफी चर्चा में आये थे।
मोकामा विधानसभा क्षेत्र भूमिहार बहुल क्षेत्र माना जाता है। यहाँ भूमिहार और परशुराम चुनावी मुद्दा का अंग रहता हीं है। ऐसे में भूमिहारों के आवाज उठाने वाले चर्चित नेता आशुतोष कुमार का जादू कितना चलता है ये देखने वाली बात होगी।
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