सम्यागढ़ (मोकामा): पटना के मोकामा में सम्यागढ़ ओपी की पुलिस ने इसी साल एक एफआईआर किया था. पुलिस के एफआईआर में लिखा था कि उस पर लोगों ने हमला किया है. FIR में लिखा गया-हमला करने वाले 25-30 लोगों को पुलिस वाले नहीं पहचानते थे लेकिन सब भूमिहार थे.
Mokama Samyagarh
इस मामले में पटना हाईकोर्ट में ताजा सुनवाई के दौरान बाढ़ के अनुमंडल पदाधिकारी यानि SDM की कलई खुल गयी. कोर्ट ने जब पूछताछ की तो पता चला कि बाढ़ के SDM को ये पता ही नहीं था कि किस आधार पर किसी व्यक्ति के खिलाफ धारा 107 की कार्रवाई की जाती है. जिसे कानून की थोड़ी भी समझ नहीं थी सरकार ने उसे एसडीएम बनाकर तैनात कर रखा था.
हाईकोर्ट ने जब एसडीएम की कारस्तानी पकड़ी तो वह कोर्ट रूम में ही हाथ जोड़ कर माफी मांगने लगे. हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच सीआईडी को सौंप दिया है. कोर्ट ने सीआईडी को सख्त हिदायत दी है कि किसी सक्षम औऱ निष्पक्ष अधिकारी से मामले की जांच करायी जाये.
बिना कानून जाने ही लोगों को गिरफ्तार रहे सुशासन के कारिंदे
बता दें कि ये मामला मोकामा विधानसभा उपचुनाव के समय का है. बाढ़ अनुमंडल के अनुमंडल पदाधिकारी कुंदन कुमार ने सम्यागढ़ के 10 लोगों के खिलाफ 107 की कार्रवाई शुरू कर दी. पहले उनके खिलाफ नोटिस निकाला गया और फिर उन्हें गिरफ्तार करने का वारंट जारी कर दिया गया. इसी मामले में सम्यागढ़ पहले ओपी की पुलिस लोगों को गिरफ्तार करने गयी. वहां जब लोगों ने विरोध किया तो उन्हें जमकर पीटा गया.
बाद में पुलिस ने गांव के लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दिया. 28 अक्टूबर को रात के डेढ़ बजे सैकड़ों पुलिसकर्मी लोगों के घर में घुस आये. पुलिस ने आम लोगों को जमकर पीटा. छठ का समय था, लोगों के घरों में छठ मनाया जा रहा था और उसी दौरान पुलिस ने जमकर तांडव मचाया. कोलकाता से छठ मनाने गांव आये दीपक सिंह नाम के एक इंजीनियर को छत से नीचे फेंक दिया गया, जिसमें वे बुरी तरह जख्मी हो गये.
दिलचस्प बात ये है कि पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की उसमें लिखा कि उस पर हमला किया गया. हमला करने वाले 10 लोगों को पहचान लिया गया लेकिन बाकी 25-30 लोगों की पहचान नहीं हो पायी. पुलिस ने एफआईआर में लिखा कि जिनकी पहचान नहीं हो पायी वे सब एक ही जाति यानि भूमिहार थे.
कोर्ट में एसडीओ की भारी फजीहत
मामला पटना हाईकोर्ट पहुंचा तो पुलिस का कारनामा सामने आया. हाईकोर्ट ने पहले ही इस मामले में शामिल पुलिसकर्मियों को हटाने और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दे दिया था. गुरूवार को जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद की बेंच में इस मामले की फिर से सुनवाई हुई.
हाईकोर्ट में बाढ़ के एसडीएम कुंदन कुमार और पटना के ग्रामीण एसपी विनीत कुमार मौजूद थे. कोर्ट ने एसडीएम कुंदन कुमार से पूछा कि गांव के लोगों के खिलाफ 107 की कार्रवाई कैसे की. एसडीएम ने कहा कि पुलिस रिपोर्ट के आधार पर 107 की कार्रवाई की गयी थी.
कोर्ट में एक-एक कर खुली कलई
कोर्ट ने एसडीएम कुंदन कुमार से कहा कि वे कानून की किताब में पढ़े कि 107 के तहत कार्रवाई किन परिस्थितियों में करनी चाहिये. कोर्ट रूम में ही एसडीएम को किताब पढ़ने को कहा गया. कानून में स्पष्ट लिखा है कि अगर कोई स्पष्ट आधार हो तभी किसी के खिलाफ धारा 107 के तहत कार्रवाई करनी चाहिये. लेकिन बाढ़ के एसडीएम ने वैसे लोगों के खिलाफ 107 की कार्रवाई की जिनके खिलाफ कोई मुकदमा नहीं था. जिनका चुनाव में गड़बड़ी का कोई रिकार्ड नहीं था.
हद तो ये कि एसडीएम ने पहले धारा 107 के तहत नोटिस जारी कर सम्यागढ़ के लोगो को अपने यहां पेश होने को कहा. नोटिस लोगों के पास पहुंची या नहीं इसका कोई रिकार्ड नहीं आया. फिर एसडीएम ने उनके खिलाफ वारंट भी जारी कर दिया. हाईकोर्ट की बेंच में एक-एक कर ये सारी बातें सामने आती गयीं. पुलिस ने जो रिपोर्ट एसडीएम को दिया था उसमें कोई जानकारी नहीं दी गयी थी आरोपी लोगों का कोई रिकार्ड है.
नाराज हाईकोर्ट ने एसडीएम कुंदन कुमार से पूछा कि अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ 107 की कार्रवाई होती है तो क्या उस पर दाग नहीं लगता. एसडीएम ने किस आधार पर इतने लोगों का चरित्र प्रमाण पत्र खराब कर दिया. बगैर किसी आरोप और शिकायत के. हाईकोर्ट ने एसडीएम से एक-एक कर कानून की किताब में लिखे नियम पढ़वाये. उसमें स्पष्ट है कि धारा 107 लगाने के लिए पर्याप्त आधार होना चाहिये.
एसडीएम ने हाथ जोड़ कर माफी की गुहार लगायी
कोर्ट के बार-बार पूछने पर भी एसडीएम ये नहीं बता पा रहे थे कि धारा 107 लगाने की क्या प्रक्रिया होती है. नाराज कोर्ट ने टिप्पणी की-आपने 10 लोगों को क्रिमिनल बना दिया. आपने कानून की धज्जियां उड़ा दीं. हाईकोर्ट की बेंच ने एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी. कोर्ट ने कहा कि वह एसडीएम के खिलाफ बीपीएससी, यूपीएससी को लिखेगी. इसके बाद घबराये एसडीएम ने कोर्ट के सामने हाथ जोड़ लिया. एसडीएम ने कहा कि वे भविष्य में ऐसी गलती कभी नहीं करेंगे.
कोर्ट ने उन्हें इस शर्त पर माफी दी कि आगे से वे किसी सही व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेंगे. अगर कोई ऐसा मामला सामने आता है तो उनके खिलाफ कडी कार्रवाई की जायेगी. हाईकोर्ट ने एसडीएम को कहा कि उन्होंने जिन लोगों के खिलाफ 107 की कार्रवाई की थी, उसे तत्काल रद्द करें. एसडीएम उसमें दर्ज करें कि बिना तथ्य के ये कार्रवाई हुई थी इसलिए इसे रद्द कर रहे हैं. गलतियों का जिक्र करिये.
पुलिस तांडव मचाने के लिए है क्या
सम्यागढ़ मामले में कोर्ट में पेश हुए ग्रामीण एसपी विनीत कुमार को भी कोर्ट ने जमकर फटकार लगायी. हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि पुलिस ने लोगों के घरों में एक बजे रात में क्यों धावा बोला. क्या पुलिस किसी आतंकवादी के घर में घुस रही थी. जिन घरों में महिलायें सो रही थीं, कोई एफआईआर नहीं था. धारा 107 के तहत भी गलत कार्रवाई हो रही थी. फिर पुलिस को एक बजे रात में गांव में कई घरों में घुसने की क्या जरूरत थी.
नाराज हाईकोर्ट ने कहा कि उस गांव में कौन से गुनाहगार थे, कौन आतंकवादी था, जो पुलिस को देर रात घर में घुसना पड़ा. कौन सा ऐसा कांड था कि एक बजे रात में घर में घुसना मजबूरी थी. वहां ना एक आर्म्स मिला, ना कोई जिंदा कारतूस मिला. पुलिस ने जो केस दर्ज किया है उसमें भी ये नहीं लिखा गया है कि ये सूचना थी कि हथियार का जखीरा रखा हुआ है इसलिए रेड करने गये थे. फिर छठ का समय जब महिलायें छठ कर रही थीं तब रात में घर में क्यों पुलिस घुसी.
नाराज कोर्ट ने कहा कि यही कानून का राज है. जिस ऑफिसर को 107 की कार्रवाई करनी है उसने उसका प्रोविजन पढा ही नहीं है. ऐसे अधिकारियों को क्या अधिकार है उस पद पर रहने का. उसके बाद पुलिस एफआईआर दर्ज कर रही है कि एक ही जाति के 25-30 लोगों ने हमला किया.
ग्रामीण एसपी ने कहा-30-35 आदमी को फंसा दो
इस मामले में पीडित के वकील ने कोर्ट को बताया कि उनके पास फोन रिकार्डिंग है जिसमें पुलिस अधिकारी ये कह रहा है कि ग्रामीण एसपी का आदेश है कि गांव के 30-35 आदमी को फंसा दो. कोर्ट की सख्ती के बाद बैकफुट पर आये ग्रामीण एसपी ने कहा कि स्थानीय पुलिस ने उनसे पूछ कर रेड नहीं किया था. देर रात रेड बिना परमिशन के हुआ था. नाराज हाईकोर्ट ने कहा कि क्या पुलिस फोर्स तांडव मचाने के लिए है. पुलिस रक्षा के लिए है या तांडव मचाने के लिए.
मामले की सीआईडी जांच होगी
हाईकोर्ट ने सोम्यागढ़ मामले में सीआईडी जांच का आदेश दिया है. जस्टिस राजीव रंजन की बेंच ने कहा कि सीआईडी के एडीजी को स्पष्ट तौर पर ये जानकारी दी जानी चाहिये कि वह मामले की जांच एक स्वतंत्र, निष्पक्ष औऱ काबिल अधिकारी से करायें. एडीजी, सीआईडी सुनिश्चित करें कि इस केस की जांच करने वाले अधिकारियों का इस केस से कोई संबंध नहीं है.