राष्ट्रीय जन जन पार्टी यानी राजपा के सुखद एवं जीत भड़े भविष्य के लिए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बल्लभ बादशाह द्वारा राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय आशुतोष कुमार के नाम एक खुला पत्र लिखा गया है।
इस पत्र के मध्यम से भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच फाउंडेशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता आगामी भविष्य को लेकर शुभकामना दे रहे हैं साथ हीं भूमिहार समाज के वास्तविक स्तिथि और आगामी राजनीतिक हैसियत और भविष्य पर अपने गहन चिंतन शब्दों के रूप में प्रस्तुत किया है। उन्होंने (बल्लभ बादशाह) राष्ट्रीय जन जन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री आशुतोष कुमार के अथक परिश्रम और जमीनी जुडाव का भी चर्चा किया।
राजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बल्लभ बादशाह अपने इस खुले पत्र में तानाशाही रवैया अपनाई सरकारी तंत्र पर भी कड़ा प्रहार करते दिखे। उन्होंने राज्यव्यापी भ्र्ष्टाचार व पुलिसिया तानाशाह के खिलाफ खुलकर जागरुक होने की बात भी कही। राज्य में शिक्षा व्यवस्था लगभग चौपट हीं हो गया है। आज सरकारी स्कूल का मतलब मात्र खिचड़ी का होटल बन चुका है।
अस्पताल हो या कॉलेज, हर जगह आज स्थिति बहुत हीं गंभीर हो चुकी है। तभी तो आये दिन आम जनता को BPSC पेपर लिक होने का मामला सुनना पड़ता है तो कभी छोटी नबालिक बच्ची से रेप का मामला। वहीं 7वें चरण के शिक्षक बहाली को लेकर लगातार कई बार धरना प्रदर्शन हो रहा है लेकिन सरकार इसपर चारों खाने चित हैं।
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चलिए सीधा आपको बल्लभ बादशाह द्वारा लिखा गया खुला पत्र से रूबरू करवाते हैं:
आदरणीय आशुतोष जी, राजपा के सुखद एवं जीत भड़े भविष्य के लिए शुभकामनाएं। आपका अथक प्रयास अपने मुकाम तक पहुँचे यही आस हम जैसे लाखों लोगों में है जो आपसे कदम से कदम मिलाकर क्रांति के पथ पर आगे बढ़ते रहे हैं। कुछ भूले बिसरे क्रांति के दोस्त हैं जो समय के दोष से असंतुष्ट होंगे , खफा होंगे। लोग अपनो से ही रूठता है, समयानुकूल ये लोग भी आपके समर्थन में आएंगे, पुरानी बातों को भूल कर मैं आशा रखता हूँ। बिहार प्रचंड राजनैतिक विसाद का शिकार होता जा रहा है। जीवित समाज से राजनीति बहुत दूर हो चुकी है, मतलब राजनीति समाज को छूने के जगह उसको धोखा देने के फिराक में रहती है। समाज हर चुनाव के साल खुद को ठगा हुआ महसूस होने के लिए तैयार रहता है। क्योंकि समाज के पास कोई विकल्प नही है। आप उस समाज का भरोसेमंद विकल्प बने, इसकी इक्षा हम सब रखते हैं। श्रीमान, बेरोजगारी ,कश्मीर, फ्रांस ,रुष समाज की समस्या नही है। समाज तब भी अपनी बदौलत जी रहा था, जब समाज के पास व्यवसाय के साधन नही थे, आक्रान्ताओं का राज था। आज भी जी रहा है। समाज राजनीति को पथराई आंखों से देखता है। समाज कहता है कि हमारा वोट ले जाओ लेकिन हमें चैन से जीने दो। तुम्हारे दिल्ली के फैशले से हमारा यहाँ पर कुछ नुकसान न करबा दो, फायदा नही हो बर्दाश्त कर लेंगे। उसी समाज की शांति के लिए हम सबको मिलकर काम करना होगा। जातीय और धार्मिक समन्वय आ जाएगा, शांति आ जाएगी तो रोजगार और विकास पीछे से दौरा चला आएगा। आज समाज में अभिभावक प्रथा खत्म हो रही है। हमें समाज के अभिभावकों के खोए मान सम्मान को वापस लाना होगा, उन्हें शक्ति प्रदान करनी होगी, स्वतंत्र समाजिक सत्ता उन्हें प्रदान करना पड़ेगा।जिससे शांतिपूर्ण समाज की परिकल्पना की जा सकेगी। राज्यव्यापी भ्र्ष्टाचार या पुलिसिया तानाशाह की नकेल राजधानी से बैठ कर नही कसा जा सकता, आम जागरूक जनमानस का सेडो गोवरमेंट इसकी नकेल कसने के लिए होना चाहिए। हम प्रसाशनिक काम मे बाधा नही चाहते बल्कि प्रशासनिक रंगदारी का जबाब देना चाहते हैं उसे रोकना चाहते हैं। स्थानीय कार्यकर्ताओं का समूह इसका बागडोर सम्भालें तो बेहतर होगा। शिक्षा व्यवस्था के नाम स्कूलों को सड़ी हुई खिचड़ी का होटल बना दिया गया है। शिक्षकों का शिक्षण स्तर में भी कमी आई है। उसमें बेहतर शिक्षकों की भी प्रतिष्ठा धूमिल होती है। स्थानीय प्रतिनिधि स्कूल , कॉलेज, अस्पताल के परिचालन पर नजर रखें, गलत का विरोध करें । आपके जोश एवम किसी बुराई के विरोध को कर गुजरने का दुःसाहस से हमने देखा है। आम जनमानस का भरोसा जीतना कठिन है , लेकिन आप कठिन कार्य के अच्छे खिलाड़ी हैं ,आपने समयानुसार यह साबित किया है। इस खुले पत्र को बिहार के भविष्य के लिए मेरी तरफ से अनुरोध पत्र समझने की कृपा करें। आपका विश्वासी |
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