मखाना की खेती (Fox Nut Farming): मखाना (Fox Nut) निम्फियेरी परिवार का एक जलीय पौधा है, जिसे फॉक्स- नट या कमल का बीज भी कहा जाता है। यूरेल फेरॉक्स नामक पौधे से आता है जो पूर्वी एशिया के झीलों या तालाबों के स्थिर पानी में उगता है। मखाना यानी Fox Nut का पौधा काटेदार होता है।
इस पौधे में नीले, जामुनी और लाल रंग के कमल जैसे फूल भी उगते हैं। इसके फूल को ‘नीलकमल’ कहा जाता है। यह उष्ण एवं उपोष्ण जलवायु का पौधा है। इसके सही विकास एवं बढ़वार के लिए 20 डिग्री सेल्सियस तथा 100 सेमी० वार्षिक वर्षा का होना अति आवश्यक है।
मखाना (Fox Nut) दक्षिण पूर्व एवं पूर्वी एशिया के क्षेत्रों जैसे जापान, कोरिया, रूस, उत्तरी अमेरिका, नेपाल, बग्लादेश तथा भारत के कई शहरों में किया जाता है। भारत में मखाना बिहार, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, त्रिपुरा, आसाम, जम्मू एवं कश्मीर, कैल्शि पूर्वी ओडिसा, मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में हुआ है।
वहीं जबकि बिहार के दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, मैग्नेरि सुपौल, सीतामढी, पूर्णिया, कटिहार आदि जिलों में मखाना का सर्वाधिक उत्पादन होता है। मखाना के कुल उत्पादन का 88 प्रतिशत बिहार में होता है।
सुपौल जिले के परसागढ़ी (Parsagarhi) गांव में करीब 30 – 40 acre जमीन में मखाना की खेती की गई है। इससे पहले 2017 तक इसकी खेती नहीं होती थी। 2018 के बाद हर वर्ष यहां के किसान मखाना के खेती में ध्यान देते आ रहे हैं। सरकार द्वारा अनुदान मिलने से किसान इसे और लग्न से कर रहें है। जब बोलता है बिहार की टीम मखाना के खेती करने वाले स्थानीय किसान सीधो मुखिया से पूछा तो उन्होंने बताया की वो फिलहाल घाटा में चल रहें हैं लेकिन अगले साल से बचत होना शुरू हो जायेगा।
मखाना के पौष्टिक गुण
मखाना (Makhana) न प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, बसा, फॉस्फोरस, आयरन और फॉलिक एसिड मौजूद होता है साथ ही साथ मखाने में कैल्शियम, मैग्नेशियम, पोटेशियम और विटामिन ‘ए’ भी पाया जाता है। मखाना सेहत को तंदुरुस्त रखने में मदद करता है।
मखाना खाने से शरीर को कई रोगों से छुटकारा मिलता है तथा मखान स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद है। मखाना में कई औषधीय गुण भी होते हैं, जिसकी वजह से प्राचीन काल से चीन के निवासी इसे दवा में इस्तेमाल करते आ रहे हैं और आयुर्वेद के विज्ञान में मखाना एक महत्वपूर्ण है स्थान भी पाता है।
मखाना की खेती (Fox Nut Farming)
मखाने में औषधीय उयोग
1. मखाना उच्च रक्त चाप में सहायक
मखाने में पोटैशियम अच्छी मात्रा में पाया जाता है जो रक्त प्रवाह को संचालित कर रक्त दबाव को कम करता है और उच्च रक्तचाप से राहत दिलाता है। यह सोडियम पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
2. किडनी के लिए फायदेमंद
मखाना खाने से किडनी सेहतमंद रहता है। मखाना हमारे किडनी को मजबूत बनाने में मदद करता है। इसके अलावा किडनी से जुड़ी कई बीमारी मखाना के सेवन से दूर होती है।
3. जोड़ों का दर्द दूर
मखाने में कैल्शियम और फॉस्फोरस होता है। यह दोनों तत्व हड्डी और दाँत की मजबूती के लिए जरूरी होते हैं। इनका सेवन जोड़ों के दर्द, गठिया जैसे मरीजों के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है।
4. मांसपेशियों के लिए फायदेमंद
मखाने में लगभग 15 प्रतिशत प्रोटीन होता है इसलिए इसके सेवन से मांसपेशियों को बनाने में मदद मिलती है। साथ ही साथ हमारा शरीर भी मजबूत रहता है। यदि मांसपेशियां अक्सर अकड़ जाया करती हैं तो भी मखाना का सेवन कर इससे छुटकारा पाया जा सकता है।
5. झुरियों से छुटकारा दिलाने में सहायक
मखाना में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स के वजह से एक एंटीएजिंग डाइट कहलाता है। इसलिए मखाना त्वचा कुपोषित कर झुर्रियां से छुटकारा दिलाता है और त्वचा को चमकदार बनाये रखने में मदद करता है।
6. तनाव दूर करें
मखाने के सेवन से दिनभर की थकान दूर होती है। साथ ही नींद भी बहुत अच्छी आती है। रात में सोने से पहले एक ग्लास दूध के मखाना का सेवन करने से नींद अच्छी आती है। साथ ही साथ स्ट्रेस भी दूर हो जाता है।
7. हीमोग्लोबिन रखे ठीक
मखाना में उचित मात्रा में आयरन और कोलेट्स पाया जाता है जो कि हीमोग्लोबिन के स्तर को बनाये रखता है। इसके के पचने अलावा अनीमिया नामक बीमारी से बचाने में मदद करता है।
8. हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद
मखाना हृदय के लिए अच्छा होता है क्योंकि ये आसानी से पच जाता है। साथ ही साथ इसमें कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी बहुत कम होता है। अतः अगर हृदय को स्वस्थ्य रखना चाहते है तो मखाने का सेवन अवश्य करें।
9. कमजोरी दूर करने में मददगार
मखाना में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन और मिनरल उचित मात्रा में होता है जो शरीर की कमजोरी दूर करने और स्वस्थ रखने में मददगार है।
मखाना के औद्योगिक उपयोग
मखाना (Makhana)में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसमें एक खास बात यह है कि मखाने में उच्चकोटी का स्टार्च पाया जाता है, जिनका उपयोग आरारोट बनाने के लिए भी किया जाता है तथा उच्च कोटी के कपड़े जैसे बनारसी साड़ी और सूती कपड़ों में कलर चढ़ाने में भी उपयोग किया जाता है।
पशुचारा के रूप में मखाना का उपयोग
मखाना प्रसंस्करण उद्योग से प्राप्त भूसी को व्यर्थ पदार्थ माना जाता है। जबकि मखाना से प्राप्त भूसी (चोकर) में 89.2 प्रतिशत सूखा पदार्थ, 7.1 प्रतिशत प्रोटीन, 0.62 प्रतिशत वसा और 94. 4 प्रतिशत कार्बोनिक पदार्थ होता है जो कि पशु और पक्षियों के भोजन में उपयोग किया जा सकता है।
मखाना भूसी को खिलाने से पक्षियों और पशुधन की शारीरिक वृद्धि, स्वास्थ दूध की उत्पादकता और पोषक तत्व के पचने की दर बढ़ जाती है। मखाना का धार्मिक उपयोग मखाना को भगवान का भोजन कहा जाता है। इसलिए इसे पूजा एवं हवन में भी उपयोग किया जाता है।
इसे आर्गेनिक हर्बल (Organic Herbal) भी कहते हैं। क्योंकि यह बिना किसी रासायनिक खाद या कीटनाशी के उपयोग के उगाया जाता है। मखाना अन्न की श्रेणी में नहीं आता है। अतः धार्मिक उपवास के समय इसका उपयोग आदर्श भोजन के रूप में किया जाता है।
व्यंजन बनाने में मखाना का उपयोग
मखाना एक स्वादिष्ट पाचक भोज्य पदार्थ है। इसे सादा या फिर मसाले के साथ घी में भूनकर स्वादिष्ट बनाते है। कुछ लोग इसे मेवे के साथ भी प्रयोग में लाते हैं। यह इतना स्वादिष्ट होता है कि इसकी मदद से बच्चों को जंक फूड से बचाया जा सकता है।
मखाना का उपयोग बहुत से स्वादिष्ट और पौष्टिक मीठे व्यंजन जैसे मखाना खीर, मखाना सेवई, मखाना हलवा आदि के बनाने में किया जाता है। इसका उपयोग पुडिंग और दूध से बने मिठाई में भी किया जाता है।
मखाना का उपयोग दाल मखानी और रायता बनाने में किया जाता है जो बहुत ही स्वादिष्ट होता है। मणिपुर कुछ इलाकों में इसके जड़कन्द और पत्ती के डंठल की सब्जी भी बनाते हैं।
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